Wednesday, November 9, 2016

'हेलिकॉप्टर से पानी का छिड़काव करें'


 नई दिल्ली
दिल्ली में एयर पल्यूशन के बेहद खतरनाक हो चुके हालात के बीच इसे रोकने के लिए समय रहते बंदोबस्त न किए जाने पर नैशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। एनजीटी ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वह राजधानी में डस्ट उड़ने की दिक्कत को दूर करने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव करवाए। अगर इस काम के लिए हेलिकॉप्टर की मदद लेनी पड़े, तो वह भी लिया जाए।

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने सरकार से पूछा कि आखिर दिल्ली में एयर पल्यूशन को रोकने के लिए बचाव के क्या कदम उठाए गए हैं/ हम आपसे जानना चाहते हैं कि आपकी अथॉरिटीज ने पहले से सड़कों पर पानी का छिड़काव क्यों नहीं करवाया/ डस्ट पल्यूशन पर कंट्रोल के वास्ते कृत्रिम बारिश करवाने के लिए आप हेलिकॉप्टर्स का इस्तेमाल क्यों नहीं कर सकते/ क्या हेलिकॉप्टर्स सिर्फ आपके अधिकारियों के आने-जाने के लिए हैं/

ग्रीन बेंच ने कहा पिछले आठ दिनों से स्मॉग की चादर ने राजधानी को अपनी गिरफ्त में लिया हुआ है और लोगों, खासकर बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है, इसलिए आम आदमी पार्टी सरकार को इस हालात से निपटने के लिए फौरी कदम उठाना चाहिए।एनजीटी ने साथ ही दिल्ली के पड़ोसी राज्यों- पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों को भी उनके इलाकों में फसलों के अवशेष जलाए जाने पर कड़ी फटकार लगाई और कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। बेंच ने पूछा कि आप अपने राज्यों में फसल जलाए जाने पर रोक लगाने के लिए क्या कर रहे हैं/ पंजाब में 70 पर्सेंट खेती की जमीन जल रही है। क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती/ लोग वायु प्रदूषण से मर रहे हैं और आप लोग कुछ नहीं कर रहे। सभी राज्य बस एक-दूसरे पर जिम्मेदारी मढ़ रहे हैं। आप लोगों को जनता के स्वास्थ्य की कोई परवाह नहीं है। स्मॉग के कारण देश की राजधानी में बच्चे अपने घरों से बाहर तक नहीं निकल पा रहे। देखिए, आपने दिल्ली के साथ क्या किया है। ग्रीन बेंच ने कहा कि अमेरिकी संस्था NASA ने जो तस्वीरें ली हैं उससे पता चल रहा है कि राजधानी में स्मॉग के लिए पड़ोसी राज्यों में क्रॉप बर्निंग जिम्मेदार है। बेंच ने राज्यों से कहा कि वे एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने के बजाय अपनी एनर्जी को हमारे निर्देशों को अमल में लाने में इस्तेमाल करें। इसने सिविक एजेंसियों से भी यह सुनिश्चित करने को कहा कि सड़कों पर कंस्ट्रक्शन मटीरियल न डाला जाए और इस संबंध में हमारे द्वारा पहले दिए गए निर्देशों का पालन किया जाए।








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